Tourism in Himachal: Boon for current times and the curse for upcoming Future?
When we talk about tourism, we mostly see it as a thing which is full of positives. We see it as something which brings prosperity to a place. Something which provides locals with an opportunity to earn money and sustain and support their livelihood. When we see it from a traveler’s perspective we focus on them being able to experience a new place which they don’t usually get to see often. We normally think that it is a win-win situation for everyone involved. However, it is not the whole image. With several pros, it also brings tons of cons too. Cons, if we had to discuss are such as polluting the environment, ruining the normal lifestyle and traditions of a place and a run for the unsatisfying amount of money which never seems to be enough. You ask why do I say that? Okay, let me break it down for…
पढ़िए हिमाचल पर लिखी गई यह खुबसूरत कविता जिसका शीर्षक है “यही है मेरा हिमाचल”
हिमनद या फिर हिमानी, बस्ते जहां भोले बर्फानी, नदियां करती कल कल, यही है मेरा हिमाचल, भोले यहाँ के लोग, मीठे उनके बोल, जहां खुशियाँ हैं हरपाल, यही है मेरा हिमाचल, पहाड़ों से वीर यहाँ, इसके जैसा स्वर्ग कहाँ, देव बसते हैं जहां आकर, यही है मेरा हिमाचल, सेब-नाशपती के बाग, या सारसो का साग, हरकुछ मेल यहाँ पर, यही है मेरा हिमाचल, धाम यहाँ की पहचान, और सिड्डु का भी है नाम, दिल मोहते फूल और फल, यही है मेरा हिमाचल, कांगड़ा मंडी या शिमला किन्नौर , सोलन हमीरपुर देश के सिरमौर, तत्पर है सूरज नया उगने को कल, यही है मेरा हिमाचल, ऊना बिलासपुर की अब लोर, चले नई किरण की ओर, कुल्लू चंबा स्पीति लाहुल, यही है मेरा हिमाचल, यही है मेरा हिमाचल!!!! यह कविता ऋषभ शर्मा द्वारा लिखी गई है। साथ ही इस कविता में उपस्थित चित्र भी उन्होंने ही उपलब्ध कराए हैं। हमें उम्मीद है कि आपको यह कविता पसंद आई होगी।
जानिए एचआरटीसी के बारे में 10 ऐसी बातें जो शायद ही आपको पता हो
हिमाचल प्रदेश भारतीय संघ के पहाड़ी राज्यों में से एक है। 70 लाख की आबादी होने की वजह से हर जगह संसाधनों को वितरित करना और उन स्थानों की यात्रा करने के लिए उचित परिवहन अवसंरचना आवश्यक है। हिमाचल प्रदेश के लोगों के लिए बसें परिवहन के मुख्य माध्यमों में से एक हैं। अब दोनों सार्वजनिक और निजी बसें दूर-दूर के क्षेत्रों तक पहुंच रही हैं और इन स्थानों की अर्थव्यवस्था को चलाने के लिए वे काफी महत्वपूर्ण हैं। इसलिए आज हम एचआरटीसी: हिमाचल रोडवेज ट्रांसपोर्ट कॉरपोरेशन के बारे में बात करेंगें। तो आइए जानते हैं एचआरटीसी के बारे में यह 10 बातें: 1. एचआरटीसी का नारा सुरक्षित सेवा, विनम्र सेवा है। 2. निगम को संयुक्त रूप से पंजाब सरकार, हिमाचल प्रदेश और रेलवे द्वारा 1958 में मंडी-कुल्लू रोड ट्रांसपोर्ट कॉरपोरेशन द्वारा स्थापित किया गया था। 3. 2 नवंबर 1974 को, निगम पूरी तरह से हिमाचल प्रदेश की सरकार को सौंप…
धूमल और नड्डा को पछाड़ते हुए जय राम ठाकुर लेंगे मुख्यमंत्री पद की शपथ
हिमाचल में विधानसभा चुनाव में बीजेपी को बहुमत प्राप्त हुआ है, साथ ही बीजेपी के मुख्यमंत्री पद के चेहरे प्रेम कुमार धूमल अपनी सीट से हार चुके हैं। इसी के साथ ही बीजेपी में हिमाचल प्रदेश के नए मुख्यमंत्री के नाम को लेकर अभी तक संशय था। जीत के चार दिन बाद भी अभी तक मुख्यमंत्री के नाम पर सहमति नही बना पाई। हिमाचल पार्टी प्रभारी मंगल पांडेय ने पिछले ही शिमला में भाजपा विधायक दल के साथ बैठक की। इस बैठक में बीजेपी पार्टी हाई कमान कि और से पार्टी पर्यवेक्षक निर्मला सीतारमण और केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर भी उपस्थित थे , वहीं प्रेम कुमार धूमल ने जय राम ठाकुर के नाम पर सहमति जताई गई थी। हालांकि सीएम पद कि रेस में सबसे आगे नाम जय राम ठाकुर का चल रहा था। पांच दिन के बाद आखिरकार बीजेपी ने मुख्यमंत्री के नाम का ऐलान कर दिया गया।…
हिमाचल के सैकड़ों शिक्षकों को नौकरी से धोना पड़ सकता है हाथ, जानिए क्या है वजह..
हिमाचल प्रदेश मेेें डीएलएड प्राइमरी स्कूल टीचरों के लिए अनिवार्य हो गया है जिससे सैकड़ों शिक्षकों के भविष्य पर खतरा मंडरा रहा है। गौरतलब रहे कि केंद्र सरकार की ओर से जारी की गई निर्धारित न्यूनतम योग्यता के लिए अध्यापकों को डीएलएड करना पड़ेगा। फिलहाल कई निजी और सरकारी स्कूल में पढ़ाने वाले शिक्षक इसे पूरा नहीं कर पा रहे हैं। Image Source डीएलएड करने के लिए योग्यता 12वी कक्षा में 50% अंक होना जरूरी है। जरूरी बात यह है कि जो शिक्षक 30 नवंबर तक पंजीकरण नहीं करवाएंगे वह शिक्षक (सरकारी व निजी शिक्षक) मार्च 2019 के बाद स्कूलों में पढ़ा नहीं पाएंगे। केंद्र सरकार के आदेश के बाद 31 मार्च, 2019 के बाद से सरकारी व निजी स्कूलों में बिना डीएलएड किए कोई भी शिक्षक प्राथमिक कक्षाओं को नहीं पढ़ा सकेगा। Image Source गौरतलब रहे कि केंद्र सरकार ने बीते कई माह से डीएलएड के प्रति शिक्षकों को…
जल्द होगी शुरू चंडीगढ़ से शिमला तक की रोजाना हेलीकॉप्टर सेवा
जल्द ही शुरू होने वाली है चंडीगढ़ से शिमला तक की रोजाना हेलीकॉप्टर सेवा। Image Source ज्ञात रहे अभी तक चंडीगढ़ से शिमला का कोई हवाई संपर्क नहीं है। कुछ समय पहले, एक निजी ऑपरेटर ने सेवाएं शुरू कर दी थीं।लेकिन वह सेवा लंबे समय तक जारी नहीं हो सकीं। चंडीगढ़ से शिमला तक की हवाई यात्रा का समय 25 मिनट के आसपास होने की उम्मीद है। चंडीगढ़ में आने वाले एक हफ्ते में शिमला से जुड़ने के लिए तैयार है। सरकारी हेलीकॉप्टर सेवा प्रदाता पवन हंस चंडीगढ़ अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे से रोजाना हेलीकॉप्टर सेवा शुरू करेगी । चंडीगढ़ से शिमला तक की हवाई यात्रा का समय लगभग 25 मिनट होने की उम्मीद है। IndianExpress के सूत्रों के मुताबिक 6 सीटर हेलीकॉप्टर रोजाना चंडीगढ़ हवाई अड्डे से संचालित होगा । एक अधिकारी ने बताया, “किराया लगभग 2600 रुपये प्रति ट्रिप होने की उम्मीद है।” पवन हंस सेवा का संचालन करेंगे। चंडीगढ़…
जानिए चूड़धार पर्वत के इतिहास, जुड़ी मान्यताएं तथा पर्यटन की संभावनाओं के बारे में
चूड़धार पर्वत हिमाचल प्रदेश के सिरमौर जिले में स्थित है। चूड़धार पर्वत समुद्र तल से 11965 फीट(3647 मीटर) की ऊंचाई पर स्थित है । यह पर्वत सिरमौर जिले और बाहय हिमालय(Outer Himalayas) की सबसे ऊंची चोटी है। सिरमौर ,चौपाल ,शिमला, सोलन उत्तराखंड के कुछ सीमावर्ती इलाकों के लोग इस पर्वत में धार्मिक आस्था रखते हैं। चूड़धार को श्री शिरगुल महाराज का स्थान माना जाता है। यहां शिरगुल महाराज का मंदिर भी स्थित है। शिरगुल महाराज सिरमौर व चौपाल के देवता है। चूड़धार कैसे पहुंचा जाए ? चूड़धार पर्वत तक पहुंचने के दो रास्ते हैं। मुख्य रास्ता नौराधार से होकर जाता है तथा यहां से चूड़धार 14 किलोमीटर है। दूसरा रास्ता सराहन चौपाल से होकर गुजरता है। यहां से चूड़धार 6 किलोमीटर है। मंदिर से जुड़ी मान्यता इस मंदिर के बनने के पीछे एक पुराणिक कहानी जुड़ी है। मान्यता है कि एक बार चूरू नाम का शिव भक्त, अपने पुत्र के…
जानिए हिमाचल प्रदेश की पर्वत श्रृंखलाओं तथा प्रमुख दर्रो के बारे में
हिमाचल प्रदेश की समुद्र तल से ऊंचाई 350 मीटर से 7,000 मीटर के बीच के लगभग है। हिमाचल प्रदेश को तीन प्रकार की पर्वत श्रृंखलाओं में बांटा गया है। 1. निम्न पर्वत श्रेणी – इस पर्वत श्रेणी को शिवालिक पर्वत के नाम से भी जाना जाता है। शिवालिक शब्द का अर्थ है शिव की जटाएं । इस क्षेत्र की समुद्र तल से ऊंचाई 350 मीटर से 1500 मीटर तक है। प्राचीन काल में शिवालिक पर्वत को मानक पर्वत के नाम से जाना जाता था। इस क्षेत्र में औसत वार्षिक वर्षा 1500 mm से 1800 mm के बीच होती है। हिमाचल प्रदेश के निम्न पर्वत श्रेणी में कांगड़ा उना, हमीरपुर, बिलासपुर, मंडी, सोलन और सिरमौर के निचले शेत्र आते आते हैं। 2. मध्य पर्वत श्रेणी– इस पर्वत श्रृंखला पर्वत श्रृंखला में सिरमौर जिले के रेणुका, मंडी जिला के करसोग, चंबा की चूराहा और कांगड़ा के ऊपरी भाग जैसे पालमपुर तहसील आदि शामिल…
नशे के नेटवर्क का हुआ पर्दाफाश, हेरोइन के साथ नाइजीरियन नागरिक गिरफ्तार
नशे के खिलाफ शिमला जिला पुलिस को एक बड़ी सफलता हाथ लगी है। पुलिस ने नशे के एक बड़े सप्लायर को दिल्ली से गिरफ्तार करने में सफलता प्राप्त की है। आरोपी युवक की पहचान इमेका पी कांक्वेयू (37 )निवासी डेल्टर (नाइजीरिया) के रूप में की गई है। पुलिस ने मामले की पूरी तरह से जांच शुरू कर दी है। पुलिस ने EenaduNewsPortal को बताया कि 8 अगस्त को शिवालिक नया नंगल भटोली के समीप मनोज कुमार निवासी मोगा पंजाब को 6 ग्राम हेरोइन के साथ गिरफ्तार किया था। पुलिस जांच से पता चला कि आरोपी युवक दिल्ली से नशे की खेप लेकर आता था। मनोज की निशान देही पर पुलिस ने दिल्ली में दबिश दी जहां से आरोपी नाइजीरियन युवक से 471.70 ग्राम हेरोइन, 0.36 ग्राम कोकीन सहित अन्य नशीले पदार्थ बरामद हुए। बाजार में जिसकी कीमत लगभग 30 लाख के करीब बताई जा रही है। एसपी संजीव गांधी ने…
आइए याद करते है उन स्वतंत्रता सेनानियों को जो हिमाचल प्रदेश से ताल्लुक रखते हैं
हिमाचल प्रदेश वीर सपूतों की भूमि रहीं हैं। आज भी हिमाचल से भारतीय सीमाओं की रक्षा के लिए और देश पर मर-मिटने के लिए हजारों लोग सेना में भर्ती होते हैं। भारत कई सदियों तक अंग्रेज़ो का गुलाम रहा। आज के दिन जब 1947 में भारत को आजादी मिली तो एक नये दौर की ओर भारत ने कदम रखें। इस आजादी को पाने के लिए हजारों देशवासियों ने अपना-अपना योगदान दिया। हिमाचल प्रदेश का उस समय आधिकारिक तौर पर अस्तित्व नहीं था पर यहां के क्रांतिकारी नेताओं, लेखक, कविओं इत्यादि ने उस दौर में अपनी अलग ही छाप छोड़ी थी। तो आज स्वतंत्रता दिवस के उपलक्ष्य पर हम उन्हीं कुछ स्वतंत्रता सेनानियों के बारे में जानेंगे। बाबा कांशी राम: बाबाकांशी राम का जन्म 11 जुलाई 1882 को कांगड़ा जिले के देहरागोपिपुर कस्बे में हुआ था। उन्होंने स्वतंत्रता संग्राम में सक्रिय रूप से भाग लिया था। उन्होंने केवल काले कपड़े पहनने का…