Muscari Lane, a Himachali brand that shares stories and creates artwork based on Hills #supportlocal
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पढ़िए हिमाचल पर लिखी गई यह खुबसूरत कविता जिसका शीर्षक है “यही है मेरा हिमाचल”
हिमनद या फिर हिमानी, बस्ते जहां भोले बर्फानी, नदियां करती कल कल, यही है मेरा हिमाचल, भोले यहाँ के लोग, मीठे उनके बोल, जहां खुशियाँ हैं हरपाल, यही है मेरा हिमाचल, पहाड़ों से वीर यहाँ, इसके जैसा स्वर्ग कहाँ, देव बसते हैं जहां आकर, यही है मेरा हिमाचल, सेब-नाशपती के बाग, या सारसो का साग, हरकुछ मेल यहाँ पर, यही है मेरा हिमाचल, धाम यहाँ की पहचान, और सिड्डु का भी है नाम, दिल मोहते फूल और फल, यही है मेरा हिमाचल, कांगड़ा मंडी या शिमला किन्नौर , सोलन हमीरपुर देश के सिरमौर, तत्पर है सूरज नया उगने को कल, यही है मेरा हिमाचल, ऊना बिलासपुर की अब लोर, चले नई किरण की ओर, कुल्लू चंबा स्पीति लाहुल, यही है मेरा हिमाचल, यही है मेरा हिमाचल!!!! यह कविता ऋषभ शर्मा द्वारा लिखी गई है। साथ ही इस कविता में उपस्थित चित्र भी उन्होंने ही उपलब्ध कराए हैं। हमें उम्मीद है कि आपको यह कविता पसंद आई होगी।
Woodscation is organizing Kareri Lake Trek this December and Yes it includes a free stay..
Woodscation is a brainchild of Baljeet Bhayana & Harmanpreet singh. They started Woodcation because of their love for Himalayas and also for their passion of venturing into unexplored places. Woodscation is a company working towards promotion of tourism in remote and unexplored regions with social objective of nature preserve (like to Travel and Volunteer ? Fill the form at the bottom) They organise treks to untouched beautiful valleys of Dhauladhar ranges. Which include treks like Nagdal, Kareri lake,Lumdal lake,Kalikund etc. which are surrounded with spectacular unobtructed view of the mountain ranges at altitude of above 5000m approximately (8848 m is mountain Everest) with far-flung, snow-clad,dome-like enchanting peaks for the ones who wish to experience the true essence of travelling with adventure. Woodscation is recently organising treks to a perfect elliptical glacial lake know as Kareri lake starting from 1st December to 3rd December followed by every weekend ending 17th December. What…
जानिए प्रधानमंत्री मोदी के मुताबिक हिमाचल को बर्बाद करने वाले 5 दानवों के बारे में
आज कांगड़ा में जनता को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने काफी विषयों पर चर्चा की। उन्होंने कांग्रेस के नेताओं को आत्मचिंतन करने को कहा तथा हिमाचल प्रदेश की जनता से कांग्रेस मुक्त भारत के उनके लक्ष्य में सहयोग करने का आग्रह किया। पर उनके भाषण का सबसे दिलचस्प भाग वह था जिसमें उन्होंने हिमाचल को बर्बाद कर रहे 5 दानवों के बारे में बात की। जानिए कौन हैं वह 5 दानव 1. खनन माफिया हिमाचल प्रदेश में अपार मात्रा में प्राकृतिक संसाधन उपलब्ध हैं। काफी समय से इन संसाधनों का दुरूपयोग किया गया है जिसमें खनन माफिया का सबसे बड़ा हाथ है। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि यह भू संपदा को लूूट रहे हैं तथा इसे जड़ से उखाड़ फेंकना है। 2. वन माफिया मोदी जी ने वन माफिया को भी आड़े हाथों लिया और कहा कि यह सब वन संपदा को लूट रहे हैं। हिमाचल प्रदेश के…
कांगड़ा जिले के इतिहास तथा वर्तमान पर एक नजर
कांगड़ा जिले का मुख्यालय धर्मशाला है। जिसकी समुद्र तल से ऊंचाई 1597 मीटर है। इसका क्षेत्रफल 5739 वर्ग किलोमीटर है। जनसंख्या के हिसाब से कांगड़ा हिमाचल प्रदेश का सबसे बड़ा जिला है| कांगड़ा जिले के कुछ आंकड़े: जनसंख्या 15,07,223 लिंग अनुपात 1013 जनसंख्या घनत्व 263 साक्षरता दर 86% कांगड़ा का इतिहास कांगड़ा को पुराने समय मे त्रिगर्त नाम से जाना जाता था। यह हिमाचल की सबसे पुरानी रियासत थी जिसकी राजधानी नगरकोट थी। त्रिगर्त रियासत की स्थापना सुशर्माचंद्र ने की थी। सुशर्माचंद्र ने ही नगरकोट किले का निर्माण करवाया था। त्रिगर्त रियासत पर काफी आक्रमण भी हुए जो इस प्रकार है: 1009ई. में महमूद गजनबी ने आक्रमण किया। 1337ई. में मोहम्मद बिन तुगलक ने आक्रमण किया। 1365ई. में फिरोजशाह तुगलक ने आक्रमण किया।1540ई. मे शेरशाह सूरी ने आक्रमण किया और 1620ई. मे जहांगीर ने कांगड़ा के किले पर आक्रमण किया। 1809 में संसारचंद और महाराजा रणजीत सिंह के बीच ज्वालामुखी संधि…
आइए याद करते है उन स्वतंत्रता सेनानियों को जो हिमाचल प्रदेश से ताल्लुक रखते हैं
हिमाचल प्रदेश वीर सपूतों की भूमि रहीं हैं। आज भी हिमाचल से भारतीय सीमाओं की रक्षा के लिए और देश पर मर-मिटने के लिए हजारों लोग सेना में भर्ती होते हैं। भारत कई सदियों तक अंग्रेज़ो का गुलाम रहा। आज के दिन जब 1947 में भारत को आजादी मिली तो एक नये दौर की ओर भारत ने कदम रखें। इस आजादी को पाने के लिए हजारों देशवासियों ने अपना-अपना योगदान दिया। हिमाचल प्रदेश का उस समय आधिकारिक तौर पर अस्तित्व नहीं था पर यहां के क्रांतिकारी नेताओं, लेखक, कविओं इत्यादि ने उस दौर में अपनी अलग ही छाप छोड़ी थी। तो आज स्वतंत्रता दिवस के उपलक्ष्य पर हम उन्हीं कुछ स्वतंत्रता सेनानियों के बारे में जानेंगे। बाबा कांशी राम: बाबाकांशी राम का जन्म 11 जुलाई 1882 को कांगड़ा जिले के देहरागोपिपुर कस्बे में हुआ था। उन्होंने स्वतंत्रता संग्राम में सक्रिय रूप से भाग लिया था। उन्होंने केवल काले कपड़े पहनने का…
मोदी ने फिर जताया हिमाचली टैलेंट पर भरोसा, कांगड़ा के डॉ. पॉल की नीती आयोग में तैनाती
केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार अहम पदों पर लगातार हिमाचल से संबंध रखने वाली शख्सियतों को चुन रही है। इस कड़ी में ताजा नाम डॉ. विनोद पॉल का है। डॉ. पॉल को केंद्र सरकार ने नीती (नेशनल इंस्टीट्यूट फॉर ट्रांस्फार्मिंग इंडिया)आयोग का सदस्य बनाया। डॉ. पॉल हिमाचल के कांगड़ा जिला के देहरा के रहने वाले हैं। वे एम्स दिल्ली में पीडियाट्रिक्स डिपार्टमेंट के एचओडी रहे हैं। डॉ. पॉल को हैल्थ साइंस रिसर्च में देश के सबसे बड़े सम्मान डॉ. बीआर अंबेडकर सेंटेनरी अवार्ड मिल चुका है। उल्लेखनीय है कि इंडियन काउंसिल आफ मेडिकल रिसर्च की तरफ से दिया जाने वाला ये सम्मान देश का सर्वोच्च रिसर्च सम्मान है। डॉ. पॉल को वर्ष 2009 के लिए ये सम्मान मिला था। वर्ष 2009 के डॉ. बीआर अंबेदकर सेंटेनरी अवार्ड समारोह में बताया गया था कि डॉ. पॉल ने नवजात शिशुओं की स्वास्थ्य समस्याओं और बाल स्वास्थ्य के क्षेत्र में बेहद सराहनीय शोध…
जानिए हिमाचल के मंदिरों की 6 विश्व प्रसिद्ध वास्तुकला के बारे मे
हिमाचल प्रदेश को देवभूमि भी कहा जाता है। ऐसा इसलिए कहा जाता है क्योंकि यहां पर बहुत सारे देवी देवताओं के मंदिर है। जिनका अपना एक पुराना इतिहास है। यही कारण है कि हिमाचल प्रदेश अपनी वास्तु कला के लिए भी प्रसिद्ध है। वास्तु कला में हिमाचल प्रदेश को मंदिर की छत के आकार के आधार पर स्तूपाकार, शिखर, गुंबदाकार, पगौड़ा , बंदछत शैली और समतल शैली में बांटा गया है। 1) स्तूपाकार शैली Image Source इस शैली में बने अधिकतर मंदिर शिमला जिले में स्थित है। शिमला के हाटकोटी के राजेश्वरी मंदिर और शिव मंदिर को इस शैली मे बनाया गया है। जुब्बल क्षेत्र में अधिकतर मंदिर की शैली के बने हैं। 2) शिखर शैली इस शैली से बने मंदिरों की छत का उपरी हिस्सा पर्वत की तरह चोटीनुमा होता है ।कांगड़ा जिले के बहुत से मंदिर इस शैली में बने हैं। कांगड़ा का मशहूर मसरूर रॉक कट मंदिर भी इसी शैली में बना है।…
हिमाचल प्रदेश की पांच मुख्य जनजातियां
हिमाचल प्रदेश की जनसंख्या में यह 5 जनजातियों का भी अपना ही स्थान तथा महत्व है। हिमाचल प्रदेश की पांच मुख्य जनजातियों में किन्नर, लाहौली, गद्दी, पंगवाल और गुज्जर आते हैं। तो आइए विस्तार में जानते हैं हिमाचल प्रदेश की पांच मुख्य जनजातियों के बारे में। 1)किन्नर जनजाति Image Source किन्नर जनजाति किन्नौर जिले से संबंध रखती है। किन्नर मुख्यत कृषक है जो जन्म से मृत्यु तक के संस्कारों को पूरा करने के लिए यह लोग लामा की सहायता लेते हैं। इनमें बहुपति प्रथा प्रचलित है। यह लोग बौद्ध धर्म को मानते हैं। 2) गद्दी जनजाति Image Source Image Source यह जनजाति हिमाचल प्रदेश की सबसे प्रमुख जनजाति है। यह जनजाति मुख्यतः कांगड़ा जिले के बर्फीले क्षेत्रों और चंबा जिले से संबंध रखती है। यह लोग हिंदू धर्म को मानते हैं। गद्दी राजपूत लाहौर से आकर यहां बस गए। इनके मुख्य देवता शिव है। कैलांग में पाए जाने वाले गद्दी जनजाति के देवता दराती देवता है।…