हिमनद या फिर हिमानी,
बस्ते जहां भोले बर्फानी,
नदियां करती कल कल,
यही है मेरा हिमाचल,
भोले यहाँ के लोग,
मीठे उनके बोल,
जहां खुशियाँ हैं हरपाल,
यही है मेरा हिमाचल,
पहाड़ों से वीर यहाँ,
इसके जैसा स्वर्ग कहाँ,
देव बसते हैं जहां आकर,
यही है मेरा हिमाचल,
सेब-नाशपती के बाग,
या सारसो का साग,
हरकुछ मेल यहाँ पर,
यही है मेरा हिमाचल,
धाम यहाँ की पहचान,
और सिड्डु का भी है नाम,
दिल मोहते फूल और फल,
यही है मेरा हिमाचल,
कांगड़ा मंडी या शिमला किन्नौर ,
सोलन हमीरपुर देश के सिरमौर,
तत्पर है सूरज नया उगने को कल,
यही है मेरा हिमाचल,
ऊना बिलासपुर की अब लोर,
चले नई किरण की ओर,
कुल्लू चंबा स्पीति लाहुल,
यही है मेरा हिमाचल,
यही है मेरा हिमाचल!!!!
यह कविता ऋषभ शर्मा द्वारा लिखी गई है। साथ ही इस कविता में उपस्थित चित्र भी उन्होंने ही उपलब्ध कराए हैं। हमें उम्मीद है कि आपको यह कविता पसंद आई होगी।
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