केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार अहम पदों पर लगातार हिमाचल से संबंध रखने वाली शख्सियतों को चुन रही है। इस कड़ी में ताजा नाम डॉ. विनोद पॉल का है। डॉ. पॉल को केंद्र सरकार ने नीती (नेशनल इंस्टीट्यूट फॉर ट्रांस्फार्मिंग इंडिया)आयोग का सदस्य बनाया।
डॉ. पॉल हिमाचल के कांगड़ा जिला के देहरा के रहने वाले हैं। वे एम्स दिल्ली में पीडियाट्रिक्स डिपार्टमेंट के एचओडी रहे हैं। डॉ. पॉल को हैल्थ साइंस रिसर्च में देश के सबसे बड़े सम्मान डॉ. बीआर अंबेडकर सेंटेनरी अवार्ड मिल चुका है। उल्लेखनीय है कि इंडियन काउंसिल आफ मेडिकल रिसर्च की तरफ से दिया जाने वाला ये सम्मान देश का सर्वोच्च रिसर्च सम्मान है। डॉ. पॉल को वर्ष 2009 के लिए ये सम्मान मिला था। वर्ष 2009 के डॉ. बीआर अंबेदकर सेंटेनरी अवार्ड समारोह में बताया गया था कि डॉ. पॉल ने नवजात शिशुओं की स्वास्थ्य समस्याओं और बाल स्वास्थ्य के क्षेत्र में बेहद सराहनीय शोध कार्य किए हैं। 2015 में डब्ल्यूएचओ इंडिया द्वारा प्रो पॉल को प्रतिष्ठित सार्वजनिक स्वास्थ्य चैंपियन( Public Health Champion) पुरस्कार से भी नवाजा गया।
समय से पूर्व जन्म लेने वाले शिशुओं के लिए जीवनरक्षक दवाओं को विकसित करने के साथ-साथ उनके शोध ने बाल स्वास्थ्य में कई आयाम स्थापित किए हैं। डॉ. पॉल की सबसे बड़ी कामयाबी आज से दो दशक पहले बिना किसी बजट के नवजात शिशुओं की स्वास्थ्य संबंधी दिक्कतों पर शोध के लिए नेशनल न्यूनेटल पैरीनेटल डाटाबेस नेटवर्क तैयार किया था। उन्होंने इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च को न्यूबोर्न बेबी हैल्थ को लेकर ब्लू प्रिंट तैयार करने में सहयोग दिया है। उनके शोध के कारण ही भारत में न्यू बोर्न बेबी केयर का नया अध्याय शुरू हुआ।
डॉ. पॉल अथक मेहनत के लिए पहचान रखते हैं। डॉ. पॉल की नियुक्ति पर हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री ने उन्हें बधाई दी है। अपने संदेश में मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने कहा कि डॉ. विनोद पॉल की नियुक्ति से न केवल हिमाचल का मान बढ़ा है, बल्कि ये भी साबित हुआ है कि छोटे पहाड़ी प्रदेश में प्रतिभाओं की कोई कमी नहीं है। वीरभद्र सिंह ने आशा जताई कि नीती आयोग के सदस्य के तौर पर डॉ. पाल के विभिन्न क्षेत्रों में विशाल अनुभव का देश को लाभ मिलेगा।
News Source eenaduindia
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